नई दिल्ली, 16 दिसंबर || मंगलवार को लोकसभा में तीखा विरोध देखने को मिला, जब सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेने के मकसद से विकसित भारत - रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 पेश किया।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने विपक्ष की ओर से मोर्चा संभाला और इस बिल को "बेहद अफसोसजनक और पिछड़ा कदम" बताया, जो भारत के सबसे कमजोर ग्रामीण नागरिकों के कल्याण को कमजोर करता है।
उन्होंने महात्मा गांधी का नाम हटाने पर कड़ा विरोध जताया और इसे सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि कार्यक्रम के दार्शनिक मूल पर हमला बताया।
थरूर ने गांधी के राम राज्य और ग्राम स्वराज के विजन का जिक्र किया, जिसमें गांव के सशक्तिकरण और "सबसे पहले आखिरी व्यक्ति" को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया था।
उन्होंने तर्क दिया कि 2005 का मूल अधिनियम, गारंटीड रोजगार के माध्यम से जमीनी स्तर पर उत्थान के गांधी के आदर्शों से नैतिक वैधता प्राप्त करता था।