नई दिल्ली, 27 दिसंबर || एनालिस्ट्स ने शनिवार को कहा कि लिक्विडिटी की स्थिति सुस्त रहने और अहम मैक्रो संकेतों का इंतज़ार होने के कारण, नए साल से पहले कंसोलिडेशन के बीच भारतीय बाज़ार शॉर्ट टर्म में रेंज-बाउंड रह सकते हैं।
इस हफ़्ते बाज़ार का सेंटिमेंट घरेलू मैक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर्स और ग्लोबल डेवलपमेंट्स के कॉम्बिनेशन से तय हुआ।
भारत ने न्यूज़ीलैंड के साथ एक कॉम्प्रिहेंसिव फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) किया, जिससे इंडो-पैसिफिक जुड़ाव और एक्सपोर्ट डाइवर्सिफिकेशन स्ट्रेटेजी मज़बूत हुई। मैक्रो फ्रंट पर, नवंबर में आठ कोर इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर्स में ग्रोथ तेज़ी से घटकर 1.8 प्रतिशत हो गई, जो इंडस्ट्रियल मोमेंटम में शॉर्ट टर्म में कमी को दिखाता है।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के रिसर्च के SVP, अजीत मिश्रा ने कहा, “फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FIIs) पूरे हफ़्ते नेट सेलर बने रहे, जिससे पिछले हफ़्ते देखे गए थोड़े समय के इनफ्लो उलट गए। इसके अलावा, स्थिर करेंसी मूवमेंट, बुलियन की कीमतों में रिकॉर्ड ऊंचाई और छुट्टियों के कारण कम पार्टिसिपेशन ने मिले-जुले ट्रेडिंग माहौल में योगदान दिया।”
आने वाला हफ़्ता कैलेंडर वर्ष 2026 में बदलाव का है और दिसंबर F&O एक्सपायरी के कारण इसमें ज़्यादा वोलैटिलिटी देखने को मिल सकती है।