नई दिल्ली, 10 दिसंबर || विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि कोलकाता स्थित बोस संस्थान के वैज्ञानिकों ने GlowCas9 नामक एक CRISPR प्रोटीन विकसित किया है, जो जीन संपादन करते समय प्रकाशमान होता है। इससे आनुवंशिक रोगों और कैंसर के उपचार में मदद मिलेगी।
हालांकि CRISPR-Cas9 को डीएनए को सटीकता से काटने और ठीक करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, लेकिन वैज्ञानिक जीवित कोशिकाओं में Cas9 नामक इस आणविक सर्जन को वास्तविक समय में नहीं देख पा रहे थे, क्योंकि कोशिकाओं को ठीक करने या तोड़ने पर आधारित पारंपरिक पहचान विधियों के कारण प्रक्रिया को ट्रैक करना असंभव था।
नए विकसित CRISPR प्रोटीन की मदद से वैज्ञानिक Cas9 एंजाइम को देख सकते हैं, जिससे वे CRISPR-Cas9 प्रणाली का उपयोग करके आनुवंशिक रोगों, जिनमें कैंसर भी शामिल है, के उपचार के लिए जीनोम को संपादित कर सकते हैं।
मंत्रालय ने कहा, “जीन थेरेपी कई जानलेवा आनुवंशिक रोगों का स्थायी इलाज हो सकती है। प्रभावी, किफायती और सुरक्षित जीन थेरेपी विधियों का विकास दशकों से एक चुनौती बना हुआ है।”