नई दिल्ली, 25 जुलाई || बिहार विधानसभा के आखिरी दिन भी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक बवाल जारी रहा और विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया का विरोध किया।
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने विपक्ष के आक्रोश को दोहराते हुए कहा, "61 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। भाजपा लोगों से वोट का अधिकार छीन रही है।"
भाकपा (माले) विधान पार्षद शशि यादव ने इस कदम को असंवैधानिक और अभूतपूर्व बताया। उन्होंने कहा, "यह देश में पहली बार हो रहा है। अब तक, हमें 18 साल की उम्र में मतदाता बनने का संवैधानिक अधिकार था। लेकिन अब, सरकार चाहती है कि आप साबित करें कि आपका नाम मतदाता सूची में शामिल होगा या नहीं। यह गलत है और हम इसका विरोध कर रहे हैं।"
इस बीच, जदयू नेताओं ने आरोपों को राजनीतिक नाटक करार देते हुए खारिज कर दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता के.सी. त्यागी ने कहा, "मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए एक महीने का समय दिया गया था। 97 प्रतिशत लोगों का नाम दर्ज हो चुका है। जिनके नाम छूट गए हैं या गलत दर्ज हो गए हैं, उनके पास अभी भी समय है। मुझे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर कोई संदेह नहीं है।"