नई दिल्ली, 17 दिसंबर || SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट में बुधवार को कहा गया कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील में देरी के कारण पैदा हुई जियोपॉलिटिकल अनिश्चितताएं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरने का सबसे बड़ा कारण रही हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगले फाइनेंशियल ईयर के दूसरे हाफ में रुपया मज़बूती से वापसी कर सकता है।
भारत के ट्रेड डेटा से पता चलता है कि लंबे समय तक अनिश्चितता, ज़्यादा संरक्षणवाद और लेबर सप्लाई में झटकों के बावजूद देश ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है।
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) के ग्रुप चीफ़ इकोनॉमिक एडवाइज़र, डॉ. सौम्य कांति घोष ने कहा, "हालांकि जियोपॉलिटिकल रिस्क इंडेक्स अप्रैल 2025 से कम हुआ है, लेकिन अप्रैल-अक्टूबर 2025 के लिए इंडेक्स का मौजूदा औसत मूल्य इसके दस साल के औसत से कहीं ज़्यादा है, जो बताता है कि वैश्विक अनिश्चितताएं INR पर कितना दबाव डाल रही हैं।"
डॉ. घोष ने आगे कहा कि उनके अनुभवजन्य विश्लेषण के अनुसार, "रुपया अभी गिरावट के दौर में है और इससे बाहर निकलने की संभावना है।"
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90 के मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण निशान को पार करने के बाद, रुपया मंगलवार को 91 के स्तर को पार कर गया।