नई दिल्ली, 25 नवंबर || मंगलवार को जारी एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर बने रहने के लिए वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में अपने व्यय वृद्धि को धीमा करना पड़ सकता है।
मॉर्गन स्टेनली द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार का पूंजीगत व्यय मजबूत रहा है, लेकिन धीमी नाममात्र जीडीपी वृद्धि के कारण राजस्व संग्रह अपेक्षा से कम रहा है।
मॉर्गन स्टेनली ने बताया कि वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में कर राजस्व वृद्धि बजट अनुमानों से काफी कम रही।
राजस्व संग्रह में साल-दर-साल (YoY) केवल 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि सरकार का पूरे वर्ष का लक्ष्य 12.6 प्रतिशत था।
यह मंदी कम जीडीपी अपस्फीति मूल्यों और अधिक कर रिफंड से जुड़ी है। प्रत्यक्ष कर संग्रह में केवल 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि अप्रत्यक्ष करों में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो दोनों अपने-अपने विकास लक्ष्यों से काफी कम है।