चंडीगढ़, 19 सितंबर || पंजाब अभूतपूर्व नदी बाढ़ से जूझ रहा है, जिसमें 56 अनमोल जानें जा चुकी हैं, 2,300 से ज़्यादा गाँव जलमग्न हो गए हैं, 13,800 करोड़ रुपये की संपत्ति, आजीविका और बुनियादी ढाँचे का नुकसान हुआ है। यह युवाओं का अदम्य साहस ही है जो 'सेवा' और 'चढ़ती कला' की भावना को जीवित रखता है, जो चार दशकों के सबसे चुनौतीपूर्ण समय के बावजूद संघर्ष कर रहा है और मिलकर राज्य का पुनर्निर्माण कर रहा है।
एक उल्लेखनीय प्रवृत्ति सामने आई है कि पंजाब के युवा, जिन्हें पहले "आलसी" और "नशेड़ी" कहा जाता था, अब लोगों के रक्षक बन रहे हैं।
युवा पुरुष और महिलाएँ बाढ़ग्रस्त ग्रामीणों तक दैनिक उपयोग की वस्तुएँ पहुँचाकर और खेतों व मानव बस्तियों में और अधिक बाढ़ आने से रोकने के लिए नदी के तटबंधों को मज़बूत करके अपने मानवीय कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।
हफ़्तों बाद अब जब जलस्तर कम होने लगा है, तो विस्थापित परिवार अपने घर लौटने लगे हैं, लेकिन उन्हें पता चला है कि उनके घर, फ़सलें और आजीविका लगभग नष्ट हो चुकी हैं, जबकि पंजाब सरकार ने सभी पीड़ितों को मुआवज़ा देने का वादा किया है।