मुंबई, 3 दिसंबर || अभिनेता शाहिद कपूर ने बताया कि कैसे उनकी सहज ज्ञान उनके निजी और पेशेवर जीवन, दोनों में एक प्रेरक शक्ति रही है।
आईएफपी 15 के एक सत्र के दौरान बोलते हुए, शाहिद से पूछा गया कि उनके जैसा कलाकार अपनी सहज ज्ञान की रक्षा कैसे करता है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, शाहिद ने बताया कि सहज ज्ञान एक ऐसी चीज़ है जो अंदर से आती है और जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
उन्होंने आगे कहा कि कई बार चीज़ों का व्यावसायिक पहलू, आर्थिक पहलू, या व्यावहारिक, यथार्थवादी या समझदारी भरा पहलू कहानी को प्रभावित करने लगता है, और तब अंदर से एक विद्रोह पैदा होता है जो "नहीं" कहता है।
शाहिद ने बताया कि वह हमेशा से एक ऐसे व्यक्ति रहे हैं जो अपना रास्ता खुद बनाने में विश्वास रखते हैं।
"मुझे लगता है कि मैं हमेशा से ऐसा व्यक्ति रहा हूँ कि अगर सब लोग दाईं ओर जा रहे हों, तो मैं कहूँगा कि चलो बाईं ओर चलते हैं। और कई बार यह अच्छा नहीं होता। कभी-कभी ऐसा लगता है कि अरे यार, दाईं ओर ही देखता। लेकिन यहीं तो रोमांच है, यहीं तो चुनौती है, यहीं तो मौलिकता है, यहीं तो जोखिम है।"