नई दिल्ली, 13 अक्टूबर || सोमवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत विटामिन डी की कमी की एक मूक लेकिन गंभीर स्वास्थ्य चुनौती का सामना कर रहा है। इस रिपोर्ट में सरकार से हर पाँच में से एक भारतीय में धूप से मिलने वाले विटामिन की कमी से निपटने का आग्रह किया गया है।
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (ICRIER) ने ANVKA फाउंडेशन के साथ मिलकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) को एक राष्ट्रीय रोडमैप और दिल्ली के लिए एक विशिष्ट कार्य योजना प्रस्तुत करते हुए दो प्रमुख नीतिगत संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किए हैं।
ये सुझाव हाल ही में जारी एक अध्ययन पर आधारित हैं, जिसमें बताया गया है कि विटामिन डी की कमी भारत में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय बन गई है और विभिन्न क्षेत्रों, आयु समूहों और आय स्तरों के लोगों को प्रभावित कर रही है।
ICRIER में प्रोफेसर और रिपोर्ट की प्रमुख लेखिका डॉ. अर्पिता मुखर्जी ने कहा, "हमारी सिफारिशें उन व्यावहारिक कदमों पर केंद्रित हैं जिन्हें मौजूदा स्वास्थ्य नेटवर्क, स्थानीय साझेदारियों और जागरूकता अभियानों का उपयोग करके तुरंत लागू किया जा सकता है।"
सिफारिशों में जागरूकता फैलाने, सूर्य की रोशनी में रहने को बढ़ावा देने, फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों को प्रोत्साहित करने तथा परीक्षण और पूरकों को किफायती बनाने के लिए "एनीमिया मुक्त भारत" की तर्ज पर "विटामिन डी कुपोषण मुक्त भारत" अभियान शुरू करना शामिल है।